कास्ट: पुलकित सम्राट, वरुण शर्मा,अली फजल, मनजोत सिंह, प्रिया आनंद, विशाखा सिंह डायेक्टर: मृगदीप सिंह लांबा प्रोड्यूसर:फरहान अख्तर, रितेश सिधवानी लेखक: विपुल विज, मृगदीप सिंह लांबा क्या है खास:वरुण शर्मा, पंकज त्रिपाठी क्या है खराब: कमजोर स्क्रीनप्ले आइकॉनिक मोमेंट: वरुण शर्मा और पंकज त्रिपाठी को स्क्रीन पर देखना किसी ट्रीट से कम नहीं है। प्लॉट फुकरे रिटर्न्स की शुरुआत एक म्यूजिकल रीकैप के साथ होती है जहां फिल्म हमें फुकरे में लेकर जाती है। आप चूचा को अपनी भूली पंजाबन की काली नागिन (ऋचा चड्डा) के साथ सपने में नागिन डांस करते देखेंगे। वहीं दूसरी ओर हनी (पुलकित सम्राट) प्रिया (प्रिया आनंद) के साथ फ्रेंच किस करना चाहता है। तो वहीं जफर (अली फज़ल) नीतू (विशाखा सिंह) के साथ गोवा में शादी करने की प्लानिंग करता है। लाली (मनजोत सिंह) अभी भी अपने सपनों की लड़की को नहीं खोज पाया है और पापा से हमेशा कुछ नहीं करने के लिए डांट सुनता है। प्लॉट इन सबके बीच भोली पंजाबन अपनी जेल की अवधी खत्म कर वापस आती है और अब उसके लिए बदला लेने का समय है। वो बदला लेने के लिए एक प्लॉट बनाती है जिसमें वो चाहती है कि चारों कोई क्राइम करें लेकिन खुद ही मुसीबत में फंस जाती है। प्लान उसके ऊपर उल्टा पड़ा जाता है।और अधिक गड़बड़ तब होती है जब चूचा को अपने पावर 'देजा चू' (अंदाजा) का पता चलता है और फिर वो क्या करता है ये देखना मजेदार है। डायरेक्शन फुकरे एक सिंपल फिल्म थी और यही उसकी खासियत थी और दर्शक उससे कनेक्ट कर पाए थे। लेकिन अगर बात सीक्वल की करें तो फिल्म की कमजोर लेखनी फिल्म के लिए सबसे निगेटिव प्वाइंट है। फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी कमजोर है। कई सीन हैं जहां आपको लगेगा कि डायरेक्टर अपनी पकड़ खोते जा रहे हैं।फिल्म में कहीं बहुत मजेदार ऐसे सीन नहीं हैं कि आप हंसते रह जाएं। कुछ देर बाद वही जोक्स बार-बार आते हैं। फिल्म के ट्विस्ट-टर्न भी मजेदार नहीं है। परफॉर्मेंस पुलकित सम्राट शहरी कूल लड़के के अवतार में अच्छे लगे हैं तो वहीं अली फजल और मनजोत के किरदार को और अच्छे से लिखा जा सकता था। हालांकि दोनों ने अपना बेस्ट दिया है। लेकिन बात अगर वरुण शर्मा की करें तो फिल्म में बाजी मारने में वो कामयाब रहे हैं। फुकरे रिटर्न्स पूरी तरह से उनका शो है। पंडित जी के किरदार में पंकज त्रिपाठी भी बहुत ही अच्छे लगे हैं।उन्हें आप बस डायलोग दे दें और वो बॉल सीधे स्टेडियम के पार ले जाते हैं। ऋचा चड्डा ने भी भोली पंजाबन के किरदार में अपना बेस्ट दिया। खासकर अगर बात राजीव गुप्ता की करें तो वो भी नेता के किरदार में वो भी अच्छे लगे हैं। हमें प्रिया आनंद और विशाखा सिंह के किरदार को सीक्वल में क्यों रखा गया ये समझ नहीं आया। तकनीकी पक्ष एंद्रे मेनेज ने दिल्ली को बखूबी दिखाया है और कई सीन ऐसे हैं जो फिल्म में गहराई लाते हैं। कुछ शॉट्स को छोड़ दें तो फिल्म की एडिटिंग भी अच्छी है। म्यूजिक ओ मेरी महबूबा का लेटेस्ट वर्जन शायद ही आपको पसंद आए। तू मेरा भाई नहीं अपने मजेदार लिरिक्स की वजह से आपका ध्यान खींचने में कामयाब होता है। बाकी गाने भी फिल्म में परिस्थिति के हिसाब से डाले गए हैं जो फिल्म के पक्ष में काम करते हैं। Verdict सीक्वल में आपको फुकरे वाला मजा नहीं आएगा लेकिन वरुण शर्मा और पंकज त्रिपाठी को साथ
The fukras are back, and this time, they're not up against Bholi Punjaban (Richa Chadha), but a very sinister and deadly politician, Babulal Bhatia (Rajiv Gupta).
To watch Fukrey Returns, you don't need to watch the first Fukrey, as the recap of the prequel is in the opening credits. The film takes place one year after the events of the previous film.
Foul-mouthed Bholi is out of jail, and she is close to broke. She wants more cash, and is only too ready to use the "special" skills of the Fukras, namely Choocha (Varun Sharma), to repay Babulal who secured her release. However, things obviously don't go as planned, and the gang finds themselves in a fine pickle, as the whole of Delhi turns against them.
The film is entertaining in most parts, and the comic timing is commendable. However, as with the previous film, the plot gets stretched and laboured in the second half, and the audience's patience wears thin. Plus, the overdose of toilet humour does get rather unnerving after a while.
The sequel attempts to disclose the grim workings of seedy politicians, and seems to make digs at the elections as well. This is actually the interesting aspect of the film, except, in the usual Bollywood way, the problems are solved too easily at the end.
The film's strongest points are the performances by Varun Sharma and Pankaj Tripathi. Varun has the knack of stealing the scene from the rest of the cast, and you can't help but smile at his most mundane jokes. Ali Fazal as Zafar, surprisingly, is just there, sometimes providing as much relevance as a table in the film. Understandably, his character is supposed to be sensible and more reserved, but Fazal seems to have understood this as completely receding into the background, and only emerging for a few dialogues here and there.
Pulkit Samrat as Hunny, is much better than the previous film, and has improved on his comic timing. Lali, (Manjot Singh), has his moments, but seems to be overshadowed by Varun.
The two girls, Hunny's and Zafar's girlfriends, played by Priya Anand and Vishakha Singh are there for practically no reason, except to cry and have a probable asthma attack. They provide no value to the story. Even the tiger in the film has more of a role to play, than they do.
Of course, Richa Chadha as the tough and menacing don, can't be forgotten. Richa owns her scenes, with full swag and authority. The equation between her and Varun is superb, and gets the audience through the more labored parts of the film.
Fukrey Returns is entertaining one-time watch, just like its prequel. It isn't spectacular, but does leave you with a smile on your face, at the end.