ITTEFAQ STORY: With cops on his tail for being charged with his wife's murder, Vikram Sethi (Sidharth Malhotra) runs into Maya (Sonakshi Sinha) and manages to get refuge in her house on a rainy Mumbai night. Maya soon learns that Vikram could be a convict on the run so she alerts the cops, who nab Vikram and discover the dead body of her husband Shekhar in the house. Maya accuses Vikram of double murder but Vikram pleads innocence. The case is assigned to officer Dev (Akshaye Khanna), who must decode the mystery in three days.
ITTEFAQ REVIEW: With cops on his tail for being charged with his wife's murder, Vikram Sethi (Sidharth Malhotra) runs into Maya (Sonakshi Sinha) and manages to get refuge in her house on a rainy Mumbai night. Maya soon learns that Vikram could be a convict on the run so she alerts the cops, who nab Vikram and discover the dead body of her husband Shekhar in the house. Maya accuses Vikram of double murder but Vikram pleads innocence. The case is assigned to officer Dev (Akshaye Khanna), who must decode the mystery in three days.
An adaptation of Yash Chopra's 1969 suspense drama, starring Rajesh Khanna and Nanda, Abhay Chopra retains the theme of the original and infuses his own twists and turns to the story, which keeps you intrigued. While his efforts are sincere and understated, there's a lot that gets lost in translation.
Unlike the linear storytelling of the original, this investigative reboot gets a bit tedious as it simultaneously presents two parallel accounts of Maya and Vikram as they reveal their respective versions of the story to Dev. What makes it further complicated is the fact that the two suspects tell their tale in instalments. This results in constant flashbacks.
Eventually, this trick of shuttling between past and present to elevate the suspense quotient backfires as it obstructs your train of thought and doesn't allow fear or tension to creep in.
However, one person who salvages this whodunit, single-handedly and makes it worth a watch is Akshaye Khanna. He lends gravitas to the otherwise dreary proceedings. His banter with fellow cop (Mr Tambe) is hilarious. On the contrary, Sidharth's deadpan expressions and Sonakshi's limited character arc, disappoint.
Overall, Ittefaq may not be a taut thriller that you expect it to be. But if patience is your asset, this unhurried suspense drama can be watched for Akshaye Khanna's crackling screen presence, acting prowess and sublime charm. Why he doesn't do films more often is the bigger mystery here.
कास्ट : सिद्धार्थ मल्होत्रा, सोनाक्षी सिन्हा, अक्षय खन्ना डायरेक्टर: अभय चोपड़ा प्रोड्यूसर : शाहरुख खान, करण जौहर, गौरी खान, रेणु रवि चोपड़ा, हीरू यश जौहर लेखक: (यश चोपड़ा की इत्तेफाक़ पर बेस्ड), जिसे अभय चोपड़ा, श्रेयस जैन और निखिल मल्होत्रा ने रूपांतरित किया है। क्या है खास: अक्षय खन्ना क्या है गड़बड़: फिल्म के क्लाइमैक्स में जो ट्विस्ट रखा गया था वो दिलचस्प हो सकता था। प्लॉट में कुछ कमियां हैं और कई सवालों के जवाब नहीं मिलते हैं। आइकॉनिक सीन: अक्षय खन्ना और सिद्धार्थ मल्होत्रा का पूछताछ का सीन प्लॉट इत्तेफाक़ की शुरूआत मुबंई की तेज बारिश की रात से होती है जहां हम देखते हैं कि एक शख्स पुलिस से बचकर भाग रहा होता है। कुछ देर के बाद उसकी कार फिसल जाती है और घायल शख्स पुलिस को चकमा देकर भागने में कामयाब होता है। उसी रात एक डरी सहमी औरत सड़क पर दौड़ते पुलिस वैन से मदद मांगने पहुंचती है। इसके बाद शॉट है उसके फ्लैट में हुए क्राइम सीन का जहां एक ग्लास टेबल के बगल में उसके वकील पति शेखर की लाश पड़ी है। इसके बगल में वही शख्स खड़ा है जो शुरूआत में फिल्म में दौर रहा था। उसका नाम विक्रम शेट्टी (सिद्धार्थ मल्होत्रा) है। वो एक पॉपुलर लेखक है जिसके ऊपर अपनी ही पत्नी की हत्या का आरोप है। प्लॉट उस डरी सहमी महिला का परिचय माया (सोनाक्षी सिन्हा) के रूप में होता है। विक्रम को शेखर के मर्डर में भी संदिग्ध आरोपी माना जाता है। लेकिन जल्दी ही शक की सुई माया पर भी जाती है। इसके बाद एंट्री होती है जांच कर रहे पुलिस ऑफिसर देव वर्मा (अक्षय खन्ना) की जो इस हाई-प्रोफाइल मर्डर को सुलझाते हैं। विक्रम और माया दोनों का ही कहना है कि वो बेगुनाह है। दोनों एक दूसरे को झूठा बताते हैं। दो मर्डर, दो पक्ष और दो कहानी के बीच देव वर्मा कैसे असली गुनाहगार का पता लगाता है ये असल कहानी है। डायरेक्शन यश चोपड़ा की फिल्म इत्तेफाक़ में राजेश खन्ना और नंदा लीड रोल में थे।उस फिल्म में एक मर्फी रेडियो में पागल हत्यारे के बारे में घोषणा होती है और रेखा (नंदा) घर के खिड़की दरवाजे बंद कर लेती है। अब 2017 में रेडियो की जगह टीवी है लेकिन तनाव का माहौल बिल्कुल वैसा ही है। अभय चोपड़ा ने इसे बखूबी दिखाने की कोशिश की है। अगर फिल्म के अंत में कुछ ढीलापन नहीं होता और फिल्मकी कहानी में कुछ जगहों पर ढीलापन नहीं होता तो शायद और बेहतर होता। कई इमोशनल सीन ऐसे हैं कि आप कन्फ्यूजन की चरम सीमा पर पहुंच जाएंगे। असली इत्तेफाक में आखिर तक चूहे बिल्ली का खेल जारी था।यहां कौन ज्यादा कन्विन्सिंग है ये बात है। पुराने इत्तेफाक की इफ्तखार का रोल अक्षय खन्ना ने निभाया है जो शर्लाक होम्स को भी मात देते हैं। परफॉर्मेंस अभय चोपड़ा की इस फिल्म में अक्षय खन्ना दमदार भूमिका में नजर आएंगे। उनकी स्मार्ट वन लाइनर्स से आप इंप्रेस हो जाएंगे। फिल्म की शुरूआत में सिद्धार्थ मल्होत्रा और सोनाक्षी आपको कुछ खास इंप्रेस नहीं कर पाएंगे। लेकिन जल्दी वो भी पटरी पर आ जाते हैं। इन दोनों में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने सरप्राइज देने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। तकनीकी पक्ष माइकल लूका ने अधिक रात के सीन कैप्चर किए हैं और आप भी बिल्कुल स्क्रीन से चिपके रहेंगे। नितिन बैद की एडिटिंग भी अच्छी है। म्यूजिक अच्छी बात ये ही कि इत्तेफाक में एक भी गाने नहीं है। वहीं प्रमोशनल सॉन्ग रात बाकी बात बाकी भी फिल्म में नहीं है जो अच्छी बात है। Verdict सिद्धार्थ मल्होत्रा-सोनाक्षी सिन्हा-अक्षय खन्ना स्टारर फिल्म इत्तेफाक और भी अच्छी थ्रिलर फिल्म हो सकती है लेकिन फिर भी पूरे 108 मिनट अपनी कुर्सी से चिपके रहेंगे वो भी इत्तेफाक से।